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कम्प्यूटर : उपयोगिता एवं अनुप्रयोग, importance of computer in our life



कम्प्यूटर : उपयोगिता एवं अनुप्रयोग

समाज में कम्प्यूटर (Computers in Society )

कम्प्यूटर आधुनिक जीवन का एक महत्वपूर्ण अंग बन गया है। देश के राष्ट्रपति से लेकर एक लिपिक या आम आदमी तक कम्प्यूटर के प्रभाव से अछूता नहीं है। यदि देश की सरकार जनगणना के कार्य को कम्प्यूटर के बिना नहीं कर सकती है तो भारतीय रेलवे अपनी आरक्षण प्रणाली को इसके बिना इतने प्रभावशाली रूप से नहीं चला सकती। विश्वविद्यालय एवं शिक्षण संस्थान कम्प्यूटर की सहायता से हजारों अंकतालिकाएँ बहुत कम समय में ही तैयार कर लेते हैं।

कई संगठन अपने कार्यालयों की प्रणाली का संचालन कंप्यूटर के द्वारा ही कर रहे हैं। बैंकों में किये जाने वाले लेन-देन को कंप्यूटर ही आज सुचारु रूप से कर रहा है। आज की प्रभावशाली टेलीफोन व्यवस्था सम्पूर्ण रूप से कम्प्यूटरीकृत हो गई है। हम घर में बैठकर टी. वी. (TV) के जो कार्यक्रम देखते हैं, वे सभी आज कम्प्यूटर द्वारा ही संपादित किये जाते हैं और उन्हें हम तक पहुँचाने में भी
कम्प्यूटर अपनी भूमिका उपग्रह के साथ मिलकर निभाता है।
भारतवर्ष एक विकासशील देश है और इसकी एक प्रमुख समस्या बेरोजगारी है। इसे दूर करने के लिए भी कम्प्यूटर ने रोजगार के नये द्वार खोले हैं। आज भारत दुनिया में सॉफ्टवेयर (Software) के निर्यातकों में से एक है, अत: इस क्षेत्र में रोजगार बढ़ा है।


कम्प्यूटर के लाभ (Advantages of Computer)

कम्प्यूटर से सम्बन्धित लाभ हम केवल एक श्रेणी में रखकर नहीं जान सकते हैं, इसलिए कम्प्यूटर के लाभ
का वर्गीकरण निम्नलिखित रूप में किया जाता है :

(1) कार्यक्षमता (working efficiency )


(a) कम्प्यूटर बहुत तेज गति से कार्य करता है। इसके कार्य करने की गति लाखों निर्देश प्रति सैकण्ड (MIPS - Millions of Instructions Per Second) में होती है।

(b) कम्प्यूटर शुद्ध एवं सही (Accurate) गणनाएँ करते हैं। ये स्वयं कभी गलती नहीं करते हैं। कम्प्यूटर जटिल और दुहराये जाने वाले (Repetitive) कार्य अच्छी तरह कर सकता है और उसमें कोई त्रुटि  (Error) भी नहीं छोड़ता। यह लम्बे समय तक एक ही कार्य को करते हुए।
थकता नहीं है और लापरवाही भी नहीं बरतता क्योंकि यह एक मशीन है।

(c) कम्प्यूटर की दक्षता में समय के साथ कोई कमी नहीं आती है।विद्युत या यात्रिक मशीनों की गति में निश्चित समयाविधि बाद कमी आ जाती है लेकिन कम्प्यूटर में ऐसा नहीं होता।

(d) कम्प्यूटर का महत्व बहुमुखी (Versatile) है। यह विभिन्न प्रकार के कार्य इसमें संग्रहत निर्देशों (Instructions) के आधार पर कर सकता है।

(e) कम्प्यूटर में संग्रह करने की क्षमता होती है इसलिए यह अन्य मशीनों की तुलना में अधिक
उपयोगी है। इसमें सम्पन्न कार्य भविष्य के लिए संरक्षित रहता है और पुनः आवश्यकता पड़ने पर यह
संग्रहीत डाटा (Data) या सूचना (Information) तत्काल प्राप्त हो जाती है। इसके अलावा यदि
प्रोसेसिंग हेतु डाटा (Data) कम्प्यूटर की गति के अनुसार उपलब्ध न हो तो इसे पहले संग्रहीत किया जा सकता है।

(F) कंप्यूटर एक स्वचालित मशीन (Automatic Machine) है और प्रोग्राम (प्रोग्राम) के निर्देशों के अनुसार कार्य करता है।

(2) उत्पादकता (Productivity) : 

संयंत्रों में कम्प्यूटर के माध्यम से स्वचालित मशीनों द्वारा अच्छे उत्पादों का निर्माण किया जाता है। इससे उत्पादों का स्तर भी बढ़ती है।

(3) रोजगार में वृद्धि (Increase in Employment) :

कम्प्यूटर ने रोजगार के नये क्षेत्रों को जन्म दिया है। संयंत्रों व संगठनों के कम्प्यूटरीकृत हो जाने पर नये रोजगार के अवसर बढ़े हैं। भारत दुनिया के सबसे प्रमुख सॉफ्टवेयर-निर्यातकों में से एक है। सॉफ्टवेयर निर्यात
43% प्रति वर्ष की दर से बढ़ रहा है जिससे सॉफ्टवेयर के क्षेत्र में भीअच्छे रोजगार के अवसर प्रतिवर्ष बढ़ रहे हैं।

(4) जीवन-स्तर में वृद्धि (Improvement in Standard of Living ) :
 कम्प्यूटरों के कारण आम आदमी के जीवन स्तर में सुधार हुआ है। कार्यालयों में एक समान नीरस कार्य को कम्प्यूटर कर लेता है जिससे कर्मचारी अब चुनौतीपूर्ण कार्यों की ओर ध्यान केन्द्रित कर सकते हैं।

कम्प्यूटर के अनुप्रयोग


 आजकल कम्प्यूटर सभी क्षेत्रों में उपयोगी है। चाहे कोई प्रवंधक हो,लिपिक हो, शिक्षक हो, व्यवसायी हो किसान हो या वैज्ञानिक, कोई क्षेत्र ऐसा नहीं जहाँ कम्प्यूटर का
उपयोग न होता हो। कम्प्यूटर के कुछ कार्य-क्षेत्र निम्नलिखित हैं

(1) स्कूलों में कम्प्यूटर -
कंप्यूटर स्कूल के लिए अत्यंत उपयोगी साबित हुए हैं। स्कलों में कंप्यूटर फीस Collection के लिये, छात्रों का रिकार्ड रखने, परीक्षा से सम्बन्धित प्रश्नपत्र बनाने व टाइम टेबिल बनाने के लिये प्रयोग किये जाते हैं।
छात्रों की फीस का हिसाब रखने के लिये, छात्र से सम्बन्धित सभी सूचनाऐं कम्प्यूटर में स्टोर कर
दी जाती हैं। जैसे नामांकन संख्या, नाम, पिता का नाम, कक्षा, विभाग व उसकी फीस तथा दण्ड शुल्क
(Fine) और यदि कोई अन्य शुल्क है तो वह भी। कुल कितनी फीस जमा की गयी, यह भी कंप्यूटर
के द्वारा आसानी से पता चल जाता है। कंप्यूटर द्वारा यह भी पता चलता है कि किस-किस छात्र की
फीस समय से जमा नहीं हुई है।

स्कूल का रिजल्ट बनाने के लिये छात्र का नाम कक्षा व विभाग क साथ-साथ विभिन्न विषयों के प्राप्तांक भी दिये जाते हैं जिससे कम्प्यूटर द्वारा प्राप्तांक की गणना करने के पश्चात् छात्र के कुल प्राप्तांक,श्रेणी, प्राप्तांक का प्रतिशत इत्यादि आसानी से ज्ञात किये जा सकते हैं।

(2) पुस्तकालयों (Libraries) में कम्प्यूटर -

 पुस्तकालय में कंप्यूटर के उपयोग से किताबों
के रख-रखाव व लेन-देन को समुचित तरीके से व्यवस्थित किया जा सकता है। कम्प्यूटर में पहले से
ही किताबों के नाम, लेखक का नाम, प्रकाशक का नाम, किताब की कीमत, रसंस्करण-वर्ष संग्रहीत किये
जाते हैं जिससे पुस्तकालय में कुल पुस्तकों की संख्या का पता आसानी से चल जाता है।किताब निर्गत (Issue) करने के लिये तथा जमा (Deposit) करने के लिये भी कम्प्यूटर का उपयोग होता है। यदि कोई पुस्तक पहले से ही किसी को निर्गत की जा चुकी है तो उसकी due dateका पता समय से लगाया जा सकता है। कंप्यूटर पुस्तकालय से पुस्तकें चुनने व नई किताबों को खरीदने
के लिये भी सहायक होते हैं।

देश के प्रमुख पुस्तकालयों को Network के जरिये आपस में जोड़ दिया गया है जिससे यह पता
करने में आसानी होती है कि कोई विशेष पुस्तक किस पुस्तकालय में उपलब्ध हैं।

(3) परिवहन में कम्प्यूटर -

 परिवहन के क्षेत्र में कम्प्यूटर की प्रमुख भूमिका है, क्योंकि किसी भी बड़े शहर की परिवहन व्यवस्था पूरी तरह कंप्यूटर पर ही निर्भर है। यदि रेलवे रिजर्वेशन कराना हो तो वह कम्प्यूटर द्वारा ही होता है तथा रेलवे की सिगनल प्रणाली भी पूरी तरह कम्प्यूटराइज्ड हो चुकी
है। यदि यह कहा जाय कि रेलवे कम्प्यूटर के बिना अधूरी है तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी।

रेलवे से भी अधिक वायुयानों में कम्प्यूटर का प्रयोग होता है। वायुयान की टिकट बुकिंग से लेकर
वायुयान की उड़ान तथा स्वयं वायुयान पूर्ण रूप से कम्प्यूटर प्रणाली पर ही निर्भर है। दूसरे शब्दों में यह
कहा जा सकता है कि यदि कम्प्यूटर प्रणाली न हो तो शायद वायुयानों की उड़ानें ही बन्द हो जायें।

सड़क परिवहन की ट्रैफिक व्यवस्था भी अब धीरे-धीरे कम्प्यूटर पर निभर होती जा रही है। लगभग
सभी बड़े-बड़े शहरों की ट्रैफिक व्यवस्था को कंप्यूटरीकृत कर दिया गया है। यदि वहाँ कम्प्यूटर सिस्टम
फेल हो जाता है तो प्रत्येक चौराहे पर लगे सिगनल कार्य करना बन्द कर देते हैं। इस स्थिति में ।व्यवस्था को नियन्त्रित करना मुश्किल ही नहीं बल्कि असम्भव हो जाता है।

(3) कम्प्यूटर द्वारा छपाई (Printing) - 

प्रिंटिंग व्यवसाय में कम्प्यूटर का महत्वपूर्ण योगदान
है। विशेष रूप से समाचार-पत्र पत्रिकाएं जहां छपती हैं। वहाँ कम्प्यूटर द्वारा ही छपाई होती है क्योंकि
कम्प्यूटर द्वारा छपाई करने से समय की बचत तो होती ही है साथ ही छपाई भी उच्च गृणवत्ता की होती है। कंप्यूटर के द्वारा किसी भी साइज तथा आकार छपाई की जा सकती है। अव तो जो भी किताबें पढ़ते हैं वे सभी कम्प्यूटर द्वारा ही छापी जाती हैं। टेलोफोन डायरेकट्री, सूचीपत्र, पोस्टर इत्यादि भी कम्प्यूटर द्वारा  सैट करके तुरन्त छपाई हो जाती है।

 यह कैसे होताहै,

 सर्वपरथम हमें जो भी छपाई करनी होती है उसके matter को कम्प्यूटर में टाइप कर दिया जाता
है। उसके बाद उस Matter को Offset Machine के द्वारा विभिन्न साइजों में छाप लिया जाता है।
कम्प्यूटर द्वारा प्रिंटिंग कार्य को DTP(Desk Top Publishing) कार्य कहा जाता है। इसमें मुख्यत:
Page Maker, Coreldraw, Photoshop आदि सॉफ्टवेयरों पर कार्य किया जाता है।

(5) बैंकों में कम्प्यूटर -

बैंकिंग संगठन ही वह क्षेत्र है जिसने सबसे पहले और सबसे अधिक बैंकों में कम्प्यूटर चलाने पर विनियोग (investment) किया तथा आज बैंक पूर्णत: कम्प्यूटर पर आश्रित हैं। इससे पहले बड़े स्तर पर बही खाते को Manally maintain किया जाता था, जिसके लिये
वृहद स्तर पर कर्मचारियों के वेतन पर खर्च किया जाता था। इस समस्या का समाधान केवल कम्प्यूटराइजेशन ही था। अधिकांश बैंकों में Mainframe or Mini कम्प्यूटर प्रयोग किये जाते हैं। केन्द्रीय(Central) कम्प्यूटर पूरी बैंक के सभी Counter पर लगे Terminals की तुरन्त current balance,deposit, drafts, Interest charge, shares आदि की जानकारी उपलब्ध कराता है। इस प्रकार कम समय में अधिक ग्राहक सेवा की जा रही है।

बैंक में कम्प्यूटर का उपयोग होने के कारण कर्मचारियों की संख्या में कमी आयी है जिससे वेतन
पर होने वाला खर्च भी कम हुआ है और समय की बचत होने के साथ साथ खातों में होने वाली
गड़बड़ियों की सम्भावना भी लगभग समाप्त हो गयी है। बैंकों में एक सबसे बड़ी समस्या है रुपयों के
आदान-प्रदान । उनी गिनती करना जिसमें कर्मचारी व ग्राहक की सर्वाधिक समय खर्च होता है। इस
समस्या को भी कम्प्यूटर ने हल कर दिया है क्योंकि कम्प्यूटर के द्वारा रुपयों की गिनती भी कर ली जाती
है।


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