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कम्प्यूटर : उपयोगिता एवं अनुप्रयोग, importance of computer in our life

कम्प्यूटर : उपयोगिता एवं अनुप्रयोग समाज में कम्प्यूटर (Computers in Society ) कम्प्यूटर आधुनिक जीवन का एक महत्वपूर्ण अंग बन गया है। देश के राष्ट्रपति से लेकर एक लिपिक या आम आदमी तक कम्प्यूटर के प्रभाव से अछूता नहीं है। यदि देश की सरकार जनगणना के कार्य को कम्प्यूटर के बिना नहीं कर सकती है तो भारतीय रेलवे अपनी आरक्षण प्रणाली को इसके बिना इतने प्रभावशाली रूप से नहीं चला सकती। विश्वविद्यालय एवं शिक्षण संस्थान कम्प्यूटर की सहायता से हजारों अंकतालिकाएँ बहुत कम समय में ही तैयार कर लेते हैं। कई संगठन अपने कार्यालयों की प्रणाली का संचालन कंप्यूटर के द्वारा ही कर रहे हैं। बैंकों में किये जाने वाले लेन-देन को कंप्यूटर ही आज सुचारु रूप से कर रहा है। आज की प्रभावशाली टेलीफोन व्यवस्था सम्पूर्ण रूप से कम्प्यूटरीकृत हो गई है। हम घर में बैठकर टी. वी. (TV) के जो कार्यक्रम देखते हैं, वे सभी आज कम्प्यूटर द्वारा ही संपादित किये जाते हैं और उन्हें हम तक पहुँचाने में भी कम्प्यूटर अपनी भूमिका उपग्रह के साथ मिलकर निभाता है। भारतवर्ष एक विकासशील देश है और इसकी एक प्रमुख समस्या बेरोजगारी है। इसे दूर क

राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के कार्य एवं गठन

                     राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग वर्तमान में इसके अध्यक्ष  सैयद गैयूरूल हसन रिजवी है।                                            image from Google अल्पसंख्यकों के लिए राष्ट्रीय आयोग अधिनियम 1992 को संसद द्वारा पारित किया गया। पारित अधिनियम के अनुसार एक अध्यक्ष, एक उपाध्यक्ष तथा छ; सदस्यों का प्रावधान है। अध्यक्ष, उपाध्यक्ष तथा सदस्य सरकार द्वारा तीन वर्ष के लिए मनोनीत किये जाते हैं।                                  आयोग के कार्य संघ तथा राज्यों में अल्पसंख्यकों के विकास की प्रगति का मूल्यांकन करना। संविधान में उद्धत प्रावधानों, संसद तथा विधान मंडलों द्वारा निर्मित कानून का कार्यान्वयन करना। अल्पसंख्यकों को उपलब्ध कानूनी सुरक्षाओं को सुचारु रूप से लागू करने हेतु संच व राज्यों को सुझाव देना। कानूनी अधिकारों व सुरक्षाओं के उल्लंघन की शिकायतों की छानबीन करना। अल्पसंख्यकों के समक्ष आने वाली कठिनाइयों की पहचान करना। अल्पसंख्यक जातियों के आर्थिक, सामाजिक व शैक्षणिक विकास के लिए मुद्दों का शोध करना। किसी अल्पसंख्यक जाति को विशिष्ट समस्या के समाधान हेतु सरका

जम्मू कश्मीर राज्य और संविधान

स्वतंत्रता के पश्चात् स्वतंत्रता अधिनियम , 1947 द्वारा देसी रियासतो को यह स्वतंत्रता दी गई कि वे अपनी इच्छा से भारत या पाकिस्तान में विलय  करे या अपना स्वतंत्र अस्तित्व बनाए रख सकते हैं। 15 अगस्त, 1947 तक जम्मू-कश्मीर रियासत के प्रमुख हरि सिंह ने भारत और पाकिस्तान में से किसी में विलय न करके अपना स्वतंत्र अस्तित्व रखना चाहते थे। लेकिन  1947 को पाकिस्तान के कबाइलियों ने पाकिस्तान सरकार के समर्थन से जम्मू-कश्मीर पर आक्रमण कर दिया जिसके परिणामस्वरूप हरि सिंह ने भारत में जम्मू-कश्मीर के विलय पत्र पर हस्ताक्षर कर कश्मीर को भारतीय संघ में शामिल करने की औपचारिक घोषणा कर दी। इस अधिपत्र में यह प्रावधान किया गया है कि भारत सरकार केवल प्रतिरक्षा, विदेश तथा संचार के मुद्दे पर अधिकार होगा। भारतीय संविधान केअनुच्छेद 370 के अंतर्गत जम्मू-कश्मीर को विशेष प्रकार की स्थिति प्रदान की गयी है 1-जम्मू- कश्मीर भारतीय संविधान के अनुच्छेद 1 में दी गई परिभाषा के अनुरूप भारतीय संघ का 15वां राज्य है, किंतु संविधान के वे सभी  उपबंध, जो पहली अनुसूची से संबंधित राज्यों पर लागू होते हैं, वे