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बहुत चर्चित राफेल जेट फाइटर आखिर क्या है राफेल लड़ाकू विमान और भारत को विशेष खरीदने से क्या फायदा होगा क्या है इसकी खासियत आइए जानें विस्तार से-
राफेल शब्द फ्रेंच भाषा भाषा से लिया गया है जिसका अर्थ होता है तूफान राफेल फाइटर जेट विमान फ्रांस में बना है ,इसका निर्माण एवं डिजाइन डेसाल्ट एविएशन ने किया है, यह एक 2 इंजनों वाला मल्टीरोल फाइटर एयरक्राफ्ट है। इस विमान की सबसे बड़ी खासियत इसकी स्पीड है इसकी स्पीड 2200 से लेकर 2500 किलोमीटर प्रति घंटा है ।इस विमान का इस्तेमाल लीबिया, ईरान ,अफ़गानिस्तान, माली में किया जा चुका है।
भारत सरकार ने अपनी वायु सेना को और अधिक बेहतर एवं मजबूत बनाने के लिए अरबों डालर का सौदा फ्रांस से किया है ।इस सौदे में इस विमान के और उन्नत वर्जन भारत को 2018 के अंत एवं 2019 में मिल जाएंगे ।इस फाइटर प्लेन के मिल जाने से भारतीय वायु सेना पहले से और अधिक मजबूत एवं आक्रामक हो जाएगी। विमान को भारत को सौपे जाने से पहले कंपनी इसमें अनेक बदलाव करेगी। इस विमान की लंबाई 15.2 मीटर तथा इसके विंग्स की लंबाई 10.8 मीटर और ऊंचाई 5.34 मीटर है। इसमें एक अथवा दो पायलट एक साथ बैठ सकते हैं।
इसकी खासियत
इस फाइटर विमान का बजन 9500 किलोग्राम है। तथा उठाए गए भार सहित इसका वजन लगभग 14000 किलोग्राम तक पहुंच जाता है इसकी अधिकतम भार उठाने की क्षमता लगभग 5000 किलोग्राम जबकि यह 4700 किलोग्राम तक ईंधन भरने की क्षमता रखता है इसकी मारक क्षमता 3700 किलोमीटर तक है।
यह फाइटर जेट ब्रह्मोस या उसके जैसी अन्य 6 मिसाइलों को ले जाने में सक्षम है। इसके अलावा 3 लेजर गाइडेड बम 6 हवा से जमीन पर मार करने वाली मिसाइलों को ले जाने में सक्षम है यह हवा मे ही ईंधन भर कर लगातार 10 घंटे उड़ान भर सकता है यह भारतीय वायु सेना के अब तक सभी परीक्षणों में खरा उतरा है।
भारत के लिए राफेल ही क्यों
भारतीय वायु सेना f-16,F35, mig-35 या यूरोफाइटर टायफून विमान भी खरीद सकता था। लेकिन टाइफून जैसे विमान अत्यधिक महंगे होने और मिग विमान पर से भरोसा कम होने के कारण राफेल को चुना गया ।इन सभी कारणों के अलावा राफेल चुनने का सबसे बड़ा कारण भारत इसी कंपनी द्वारा बनाए गए मिराज 2000 विमान का इस्तेमाल कर रहा है ।जिसने करियल युद्ध में अपनी ताकत का लोहा मनवा लिया
राफेल से डिफेंस और निजी दोनों क्षेत्रों को फायदा होगा इससे श्री नरेंद्र मोदी जी के मेक इन इंडिया प्रोग्राम को बढ़ावा मिलेगा ।जिसका फायदा डिफेंस सेक्टर को भी होगा ।राफेल की आपूर्ति करने वाली कंपनी आपूर्ति करने के बाद विमान के रखरखाव के लिए मेंटेनेंस ऑफ़ टेक्नोलॉजी हिंदुस्तान एयरोनॉटिकल लिमिटेड को सौंप देगी।
विवाद का कारण
आज से 17 वर्ष पहले कांग्रेस सरकार ने इसके खरीदने की पहल की थी उस समय इसकी कीमत आधे से भी कम थी ।विवाद का कारण इसकी कीमत अधिक होना है लेकिन इसको हम इस तरह समझ सकते हैं ।कि यदि कोई कार हम सीधे-सीधे खरीदें तो उसके मूल्य एवं उसी कार्य को अपने मन मुताबिक बदलाव करवाने पर उसके मूल्य में भारी अंतर होगा क्योंकि अब जिन राफेल विमानों की आपूर्ति भारत को होगी वह भारतीय वायु सेना के अनुकूल रूपांतरित होंगे इसीलिए इनकी कीमत पहले से बहुत अधिक है।
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